"घाघरा और ओढ़नी में बैठना सिर्फ एक पारंपरिक पहनावा नहीं, बल्कि यह उस शक्ति और आत्मविश्वास का प्रतीक है जो हर महिला में छिपी होती है। यह दिखाता है कि पारंपरिकता और आधुनिकता का संगम समाज में महिलाओं की समानता और सशक्तिकरण की दिशा में एक कदम और बढ़ाता है।"