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महिला सशक्तिकरण की आदर्श मिसाल : एडवोकेट सुमन खीचड़

आज के समय में महिला सशक्तिकरण केवल एक नारा नहीं, बल्कि सामाजिक बदलाव का मजबूत आधार बन चुका है। जब हम महिला सशक्तिकरण की बात करते हैं, तो मेरे मन में सबसे पहले एक ही नाम आता है – एडवोकेट सुमन खिचर जी। उन्होंने न केवल अपने क्षेत्र में बल्कि पूरे हरियाणा में महिलाओं के आत्मविश्वास और स्वाभिमान को नया आयाम दिया है।

सुमन खीचड़ जी का जीवन संघर्ष, संकल्प और सफलता की अनोखी मिसाल है। उन्होंने अपनी मेहनत और कर्तव्यनिष्ठा से साबित किया कि अगर इरादा मजबूत हो, तो कोई भी बाधा रास्ते की रुकावट नहीं बन सकती। एक शिक्षित महिला के रूप में उन्होंने समाज में यह संदेश दिया कि बेटियों को अवसर मिले तो वे हर क्षेत्र में कमाल कर सकती हैं। आज वे जिला परिषद फतेहाबाद की अध्यक्ष हैं और विकास की नई इबारत लिख रही हैं।

सुमन जी ने महिलाओं के लिए कई ऐसे कार्यक्रम और योजनाएं शुरू की हैं जिनसे गांव-गांव में जागरूकता फैली। बालिका पंचायत जैसी अभिनव पहल ने बेटियों को नेतृत्व की पहली सीढ़ी चढ़ने का हौसला दिया। महिलाओं के स्वास्थ्य, शिक्षा और स्वावलंबन को प्राथमिकता देने वाली योजनाओं ने हजारों परिवारों की सोच बदल दी।

मुझे गर्व है कि मैंने इतने करीब से सुमन जी का समर्पण और जज्बा देखा है। उनके व्यक्तित्व में संवेदनशीलता और नेतृत्व का अद्भुत मेल है। वे हर महिला को यही प्रेरणा देती हैं कि खुद पर भरोसा रखो, अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाओ और समाज के विकास में बराबर की भागीदारी निभाओ।

हमारे देश की असली प्रगति तभी संभव होगी जब महिलाएं आत्मनिर्भर बनेंगी और हर मंच पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगी। सुमन खीचड़ जी जैसे उदाहरण हमें यह यकीन दिलाते हैं कि बदलाव आ सकता है – बस उसके लिए निरंतर प्रयास की जरूरत होती है।

इस ब्लॉग के माध्यम से मैं सभी पाठकों से अपील करता हूं कि अपने परिवार और समाज में महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए सकारात्मक वातावरण बनाएं। बेटियों की शिक्षा, स्वास्थ और उनके सपनों का सम्मान करना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।

अंत में, मैं सुमन खीचड़ जी को महिला सशक्तिकरण की आदर्श प्रेरणा मानते हुए उन्हें सलाम करता हूं। उनका जीवन हम सबके लिए एक सीख है – कि अगर संकल्प अडिग हो, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं।